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    Wednesday, January 4, 2017

    जीन थेरपी से थमेगी बुढ़ापे की रफ्तार


                         जीन थेरपी से थमेगी बुढ़ापे की रफ्तार                                                                                                                                                                                                            
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       अर्जुन सामरिया  :सभी लोगो को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरी पिछली दोनों पोस्टो को
     अत्याधिक पसंद करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार। आज की पोस्ट में आपको  जानकारी दूंगा, आइये जानते हैं आज की दुनिया में बुडापा आम बात है लेकिन विज्ञान ने बुढ़ापे का भी इलाज डूड लिया है वैज्ञानिको ने नयी तकनीक डूड लि है जिसका नाम है जिन थेरपी जो की वैज्ञानिको का दावा है की जेन थेरपी से बढ़ते हुए बुढ़ापे पर काबू पाया जा सकता है   न को सुरक्षित रखना बहुत ही मुशकिल हो गया है क्यों की विज्ञान ने बुढ़ापे को दूर रखने के लिए एक नई इंजेक्शन ईजाद कीए गए है। जीन रिसर्च फाउंडेशन ने कई सालों के रिसर्च के बाद इसे बनाने में सफलता हासिल की है। इसे जल्द ही लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। 8 साल में 12 हजार से ज्यादा मरीजों पर इसका प्रयोग किया गया, जो सफल रहा। अपने खून की एक बूंद और जीन ऐक्टिवेटर की मदद से शरीर में डैमेज हुए जीन को रिपेयर किया जा सकेगा, साथ ही नए हेल्थी जीन बन सकेंगे।

    जीन थेरपी से थमेगी बुढ़ापे की रफ्ता
    बेंगलुरु स्थित डॉक्टर अग्रवाल हॉस्पिटल के जीन रिसर्च फाउंडेशन ने डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर 20 सालों तक रिसर्च किया। रिसर्च फाउंडेशन की मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर सुनीता राणा अग्रवाल ने बताया कि यह स्टेम सेल थेरपी से आगे की प्रक्रिया है। यह सीधे जीन को रिपेयर करती है। जीन थेरपी के जरिये बुढ़ापे की रफ्तार को रोका जा सकता है। इस तरह बुढ़ापे की वजह से होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता है। हमारे शरीर में कोई भी दिक्कत होती है तो वह कहीं न कहीं डीएनए से जुड़ी होती है। जब बच्चा मां के पेट में होता है उस वक्त सबसे हेल्थी डीएनए होता है। पैदा होने के बाद धीरे-धीरे इनके बनने की संख्या घटती जाती है। 30 साल की उम्र के बाद नया डीएनए नहीं बनता है और 40 साल या इसके बाद डीएनए डैमेज होने शुरू होते हैं। जीन थेरपी में हम डीएनए को रिपेयर करेंगे।

    कैसे करेगा काम
    डॉक्टर राणा ने बताया कि हमने एक ऐसी किट बनाई है, जिसमें एक इंजेक्शन के अंदर ‘माना‘ यानी डीएनए ऐक्टिवेटर होता है। इस इंजेक्शन में शरीर से एक बूंद खून लेते हैं, जिसमें डीएनए होते हैं। 10-20 सेकंड में इंजेक्शन के अंदर डीएनए रिपेयर होने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद यह रिपेयर डीएनए वाला ब्लड उसी इंजेक्शन के जरिए शरीर में इंजेक्ट कर देते हैं। इस तरह बॉडी में रिपेयर और हेल्थी डीएनए की संख्या बढ़ती है। यह प्रकिया जरूरत के हिसाब से की जा सकती है। इसे कोई भी खुद ही कर सकता है। इस तरह हेल्थी डीएनए के बढ़ने से बुढ़ापे की रफ्तार धीमी होती है और ज्यादा वक्त तक हेल्थी जिंदगी जी जा सकती है। बच्चों में होने वाली डीएनए संबंधी बीमारी में इसके जरिए रोकी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमने कई सफल प्रयोग किए हैं जिनमें डीएनए रिपेयर कर कई बीमारियों से राहत मिली।

    3 महीने में शुरू होगा प्रॉडक्शन
    जीन रिसर्च फाउंडेशन के सीईओ पंकज सोधी ने बताया कि हम डीएनए जीन थेरपी के लिए आर ऐंड डी औरमैनुफैक्चरिंग यूनिट 300 करोड़ रुपये की लागत से शुरू कर रहे हैं। 3 महीने के भीतर प्रॉडक्शन शुरू हो जाएगा।उन्होंने कहा कि देश में 6 करोड़ से ज्यादा लोग डायबीटीज के मरीज हैं। जीन ऐक्टिवेटर के जरिए इस संख्या कोकम किया जा सकता है। ब्रेस्ट कैंसर, रेटिनल डीजनरेशन, आर्थराइटिस जैसे जेनिटिकल डिस्ऑर्डर की पहचान करउसे ठीक किया जा सकता है।लेखिका –पूनम पांडे (साभार-नवभारतटाइम्स)

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