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    Monday, December 26, 2016

    सिगरेट से भी ज्‍यादा खतरनाक है मोमबत्ती का धुआं-dangerous than cigarette smoke candle




    आज हम आपको मोमबती के हानिकारक दुश्प्रभाव के बारे में बता रहे है मोमबती इंसान की जिन्दगी का हिसा बन गयी है मोमबती मोमबती के कई फाहिदे   भी है और कई परकार  के नुकसान भी है में आज आपको इन ही नुकसानों के बारे में बता रहा हु                                                                                                                                                                                                                                                
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              सुगंधित मोमबत्तियों को बर्थडे पार्टी, क्रिसमस पार्टी या फिर फैमिली गेट टूगेदर के दौरान घर को रोशन करने के लिए इस्‍तेमाल करना लगभग हर कोई पसंद करता है। यह आपके घर को सजाने के अलावा घर को सुगांधित कर सुखद अहसास भी कराती हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि मोमबत्ती आपके घर को टॉक्सिक केमिकल से भर देती है, जो सेहत के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता हैं। बहुत सी मोमबत्तियां तो सिगरेट की तरह इतनी टॉक्सिक होती है, कि हवा को कैंसर जनित केमिकल से भर देती हैं। सुगन्धित मोमबत्तियों में अतिरिक्‍त केमिकल के कारण यह स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। खुशबू में मौजूद केमिकल का सांसों के द्वारा अंदर जाना सिगरेट की तुलना में अधिक हानिकारक होता है। इसलिए हमें इस तरह की मोमबत्तिओं के लंबे इस्‍तेमाल से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

    इस सन्दर्भ में स्मरण आता है, एक किस्सा या यूँ कहा जाए मोमबत्ती का इतिहास। मेरे एक निकटष्ठ रिश्तेदार ने अपनी युवा अवस्था में मोमबत्ती बनाने का काम किया। जितने की घर में उनको मोमबत्ती पर रही थी, उससे सस्ती बाजार में उपलब्ध हो रही थी। यानि उस समय बाजार में मोमबत्ती मिल रही थी दो पैसे में और उनको घर में पड़ रही थी पांच पैसे में। रिटेल से महँगी मोमबत्ती को कोई दुकानदार खरीदने को तैयार नहीं। मोमबत्ती निर्माताओं से बात की। मालूम हुआ की जबतक मोम में सूअर आदि की चर्बी नही मिलाओगे कोई ग्राहक मोमबत्ती खरीद नहीं पायेगा। और  हम निर्माताओं को आपकी तरह घर से रोटी खानी पड़ेगी। वो ठहरे कट्टर आर्य समाजी ,प्याज़ को भी न छुए ,वो तो चर्बी है। लिहाजा मोमबत्ती बनाना ही बंद कर मोमबत्ती के फरमे और मोम उलटे-सीधे पैसों में बेच नौकरी की तलाश करनी शुरू कर दी। परिणाम स्वरुप सरकारी नौकरी मिल ही गयी।

    candle-02यही कारण है कि अनेकों बार किसी भी शुभ काम में मोमबत्ती के प्रयोग पर आपत्तियां की गईं, लेकिन नगाड़े की आवाज़ में तूती की आवाज़ किसी ने नहीं सुनी। आम नागरिक से लेकर नेताओं ने उस आवाज़ को व्यवसाय विरोधी करार दे शांत हो गए। खाड़ी बावरी (दिल्ली ) में ग्राहक द्वारा महँगी शब्द कहने पर यदा-कदा सुनने को मिल जाता है “बाबूजी प्योर मोम की बत्ती है चर्बी मिक्स नहीं है। हम मिक्स माल नहीं बेचते।”

    यही कारण है देश में बिमारिओं के फैलने का।लेकिन आज तक किसी भी सरकार इस ओर लेशमात्र भी ध्यान नहीं दिया। देश में नई-नई बीमारियां पनप रही हैं ,महंगी दवाईओं के खर्च से गरीब मरा जा रहा है ,लेकिन सरकार और एनजीओस सो रहे हैं।  इसका स्वास्थय का हानिकारक प्रभाव पड़ता है :-

    एलर्जी का कारण

    कैंडल्‍स की पैराफिन वैक्‍स में कम से कम 20 विषाक्त पदार्थों शामिल होते है। उनमें से, सबसे ज्‍यादा टॉक्सिक एसीटोन, फिनोल, जाइलिन, क्रेसोल और ब्‍लोरोबेंजीन है। यह कैंसर, लंग में जलन और ब्रेन सहित शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। कैंडल्‍स में मौजूद सिंथेटिक सुगंध श्‍वसन तंत्र में जलन का कारण बन, श्‍वसन स्राव को बढ़ा सकती है। यह ज्‍यादातर लोगों में एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बनता है। यह कैंडल के हानिकारक प्रभावों में से एक है।

    सांस की समस्याएं और अस्थमा

    कैंडल्‍स में इस्‍तेमाल होने वाला पैराफिन नामक वैक्‍स अस्‍थमा को बढ़ाने और कई सांस की समस्‍याओं का कारण बन सकता है। कैंडल्‍स के जलने पर वैक्‍स की एक अजीब गंध निकलती हैं, जो फेफड़ों में जलन और सांसों संबंधी समस्‍याओं का कारण बन सकती है।

    सिरदर्द

    खुशबू वाली कैंडल का एक अन्‍य हानिकारक प्रभाव सिरदर्द भी है। कैंडल के धुएं के अंदर जाने से अधिकांश लोगों को सिर में दर्द होने लगता है। ऐसा कैंडल में मौजूद हानिकारक केमिकल बेंजीन और टोल्‍यूनि के कारण होता है।

    किडनी में ट्यूमर और कैंसर का खतरा

    कैंडल जलाने पर ऑयल से निकलने वाला धुआं, किडनी में ट्यूमर का कारण बन सकता है। इसलिए कई स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ कहते हैं कि कैंडल के धुएं के जोखिम से बचने के लिए हमें इनका इस्‍तेमाल केवल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए। इसके अलावा कैंडल से पिघलते पैराफीन से हवा में कैंसर जनित धुएं (बेंजीन और टोल्यूनि) की विज्ञप्ति होती है। इसकी स्‍मैल डीजल इंजन की तरह होती है। और इस गंध को सांस के माध्‍यम से अंदर लेने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर यह कैंडल के सबसे खतरनाक प्रभावों में से एक है।


    • हानिकारक कैंडल्‍स के जोखिम से बचने के उपाय


    अरोमाथेरेपी और सभी प्रकार की सुगांधित कैंडल्‍स से बचना चाहिए। पैराफीन कैंडल के विकल्‍प के रूप में बीज्वैक्‍स या सोया कैंडल का प्रयोग करें। अगर आप सुगांधित कैंडल का उपयोग कर भी रहे हैं तो लंबे समय के जोखिम से बचने के लिए अपने घर की खिड़की को खुला रखें।

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