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    Tuesday, December 27, 2016

    किशनगढ़ की महत्वपूर्ण जानकारी -Kishangarh important information

    •                    किशनगढ़ किला, राजस्थान                                                                                                                                                                                        किशनगढ़ की महत्वपूर्ण जानकारी -Kishangarh important information आपने  किशनगढ़  के बारे में तो बहुत सुना  होगा  लेकिन  आपको किशनगढ़  के बारे    जानकारी नही है में आज आपको  किशनगढ़  के बारे में कुछ महत्वपूर्ण   जानकारी दे रहा हु             


    राजस्थान के जैसलमेर जिले के सरहदी क्षेत्र किशनगढ़ का ऐतिहासिक दुर्ग सरंक्षण के अभाव जर्जर हालत में पहुँच गया है, और सरकारी लापरवाही का शिकार होकर धीरे धीरे ढह रहा है। 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में जिस किले पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा कर लिया था और पाकिस्तान का झंडा लहरा दिया था उस किले को भारतीय जाबांज सैनिकों ने घनघोर लड़ाई लडकर आजाद करवाया था। लेकिन हैरत देखिए कि जिस किले को हासिल करने के लिए आजाद भारत ने भी लड़ाई लड़ी उस किले को सरकारी लापरवाही गिरा रही है।
    भारतीय सरहद की सुरक्षा का अहम् भागीदार रहा यह दुर्ग समय और प्रशासनिक अनदेखी के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा हैं. अपने आप में अनोखा हें किशनगढ़ दुर्ग जो राज्य सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी का दंश भोग रहा है. कहने को तो यह दुर्ग सरंक्षित स्मारक हें मगर सरंक्षण के नाम पर इस दुर्ग में एक ईंट भी रखी गई है.


    इस दुर्ग की खूबसूरती देखते ही बनती हें, पूरे भारत में इस शैली का दुर्ग कंही नहीं है. इस शैली के दुर्ग अब सिर्फ पाकिस्तान में हैं. किशनगढ़ किले जैसा हुबहू दुर्ग बहावलपुर सिंध पाकिस्तान में है जो किशनगढ़ के सामने पाकिस्तान की तरफ है. मुग़लकालीन शैली के इस दुर्ग पर पाकिस्तान की सेना ने 1965 के भारत के युद्ध के दौरान कब्जा किया था. पाकिस्तानी सेना ने इसी दुर्ग में अपनी सीमा चौकी स्थापित की थी, बाद में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को यहां से बाहर खदेड़ दिया था.


    गौरतलब है कि कला, साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व विभाग की ओर से घोटारू, गणेशिया के साथ किशनगढ़ फोर्ट को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए इसका निरीक्षण कर इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक दल भी भेजा गया था, जिसमें बीकानेर पुरातत्व अधीक्षक किशनलाल, जैसलमेर संग्रहालय अध्यक्ष निरंजन पुरोहित व शिवरतन पुरोहित शामिल थे. रिपोर्ट के आधार पर अधिसूचना जारी कर 10 जून 2011 को आपत्तियां मांगी गई थी।


    आपत्तियां नहीं मिलने की स्थिति मे कला, साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व विभाग की प्रमुख शासन सचिव उषा शर्मा ने राजस्थान स्मारक पुरावशेष स्थान तथा प्राचीन वस्तु अधिनियम, 1961 के तहत राज्य सरकार की ओर से घोटारू, गणेशिया के साथ-साथ किशनगढ़ फोर्ट को संरक्षित स्मारक घोषित करने संबंधी अधिसूचना 22 नवंबर 2011 मे जारी की थी। ऐसे मे उपेक्षा का दंश झेल रहे इस ऎतिहासिक दुर्ग के सुनहरे दिन लौटने की उम्मीद जगने लगी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हकीकत यह है कि संरक्षित स्मारक बनने के बाद भी किशनगढ़ की किस्मत नहीं संवर पाई है और यह गढ़ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।



    इतिहास के पन्नो मे किशनगढ़ फोर्ट
    जैसलमेर से करीब डेढ़ सौ किमी दूर व भायलपुर (पाकिस्तान) की सीमा के नजदीक, जैसलमेर के प्राचीन किशनगढ़ परगने का मार्ग देरावल व मुल्तान की ओर से जाता था। इस गढ़ का निर्माण बूटे (भुट्टे) दावद खां उर्फ दीनू खां ने करवाया। यही कारण है कि इसका नाम दीनगढ़ था। बताते हैं कि दावद खां के पौत्रों से हुई संधि के बाद महारावल मूलाराम के समय इसका नाम किशनगढ़ (कृष्णगढ़) रखा गया। अठारहवीं शताब्दी का यह दुर्ग वास्तुशिल्प संरचना का सुंदर नमूना है। यह गढ़ पक्की ईटों से बना हुआ है, जिसमें दो मंजिलें बनी है। फोर्ट मे मस्जिद व महल तथा कोट मे एक दरवाजा व पानी का कुआ बना है। कोट की बनावट मुस्लिम संस्कृति का प्रतीक है।




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