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    Friday, December 23, 2016

    कुंवारी लडकिया क्यों नही करती शिव लिंग की पूजा -Why not do the girls virgin worship the Shiva Lingam

    कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए


    कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए


    धार्मिक रीति-रिवाजImage result for कुंवारी लड़कियां शिव लिंग पूजा क्यों नहीं करती है

    धार्मिक रीति-रिवाजों को लोग विशेष महत्ता प्रदान करते हैं.... धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी धार्मिक कार्य को करते समय उसके नियमों का पालन करना आनिवार्य है। धार्मिक शास्त्रों में उल्लेखित किसी भी बात को अनदेखा करना उस जातक के लिए ही नुकसानदेह है, जो किसी विशेष पूजा से वरदान की अपेक्षा रखता है।

    धार्मिक नियम

    हम इस बात को झुठला नहीं सकते कि नियमों का पालन करने के साथ हमारे धार्मिक शास्त्र अपने भक्तों को कुछ नियमों में विभाजित भी करते हैं। कौन से जातक किस प्रकार के धार्मिक कार्यों का हिस्सा बन सकते हैं एवं किन कार्यों में गलती से भी भाग नहीं ले सकते, इस सबका वर्णन धर्म ग्रंथों में किया गया है

    भगवान शिव का ‘शिवलिंग’

    ऐसा ही एक नियम भगवान शिव के रूप ‘शिवलिंग’ से जुड़ा है, जिसके संदर्भ में यह माना जाता है कि कुंवारी कन्याएं शिवलिंग को हाथ भी नहीं लगा सकतीं। उनके द्वारा इस शिवलिंग की पूजा का ख्याल करना भी निषेध है। लेकिन ऐसा क्यों?

    कुछ धार्मिक मान्यताएं

    हम जिस गुरु अथवा भगवान को मानते हैं, जिनकी दिन रात आराधना करते हैं, वे स्वयं ही हमें नियमों में क्यों बांधना पसंद करेंगे? लेकिन धार्मिक मान्यताओं को आधार बनाते हुए ऐसा कहा जाता है कि अविवाहित कन्याओं को हमेशा ही शिवलिंग की पूजा से दूर रखना चाहिए।

    कुंवारी कन्याओं के लिए वर्जित है पूजा

    ऐसी मान्यता है कि लिंगम एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की रचनात्मक ऊर्जा है) का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि शास्त्रों में ऐसा कुछ नहीं लिखा है। शिवपुराण के अनुसार यह एक ज्योति‍ का प्रतीक है।

    क्या है सामाजिक धारणा?

    कुछ सामाजिक धारणाओं के अनुसार शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा। महिलाओं को शिवलिंग की पूजा से दूर ही रखा जाता है, खासतौर पर अविवाहित स्त्री को शिवलिंग पूजा से पूरी तरह से वर्जित रखा जाता है। परन्तु ऐसी मान्यताएं क्यों बनाई गई हैं?

    शिवलिंग के करीब जाने से मनाही

    किंवदंतियों के अनुसार अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। आमतौर पर शिवलिंग की पूजा करने के बाद श्रद्धालु इसके आसपास घूमकर परिक्रमा करने को सही मानते हैं, लेकिन अविवाहित स्त्री को इसके चारों ओर घूमने की भी इजाज़त नहीं दी जाती। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं।

    शिव की तपस्या से है संबंध

    और किसी स्त्री के कारण उनकी तपस्या भंग ना हो जाए, इसका ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हमेशा से ही जब भी भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत खयाल रखा जाता है। केवल मनुष्य जाति ही नहीं, देवता व अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधानी से उनकी पूजा करती हैं।

    क्रोधित हो जाते हैं शिव जी

    यह इसलिए कि कहीं देवों के देव महादेव की समाधि भंग न हो जाए। जब शिव की समाधि भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं और अपने रौद्र रूप में प्रकट होते हैं जिसे शांत कर सकना किसी असंभव कार्य के समान है। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा गया है।

    लेकिन शिव की पूजा कर सकते हैं

    लेकिन शिवलिंग की पूजा से अविवाहित स्त्रियों को दूर रखने का यह अर्थ नहीं है कि वे भगवान शिव की पूजा नहीं कर सकतीं। बल्कि कुंवारी कन्याएं ही शिव जी की सबसे अधिक आराधना करती हैं। अपने लिए एक अच्छे वर की कामना करते हुए वे पूर्ण विधि-विधान से शिव जी के 16 सोमवार का व्रत रखती हैं।

    शिव के सोमवार व्रत

    व्रत के साथ वे शिव जी की पूर्ण नियमों के साथ पूजा भी करती हैं। और ऐसी मान्यता है कि भक्तों के भोले भगवान शंकर उन्हें वरदान भी देते हैं। एक अच्छे वर के अलावा एक महिला का पति उससे प्रेम करे और अच्छा बर्ताव करे, इसके लिए भी महिलाएं 10 सोमवार का व्रत रखती हैं।

    धार्मिक मान्यताएं

    इसके साथ ही पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन सफल बना रहे, इसके लिए महिलाएं शिव तथा माता पार्वती जी की एक साथ पूजा करती हैं। हिन्दू मान्यताओं में दुनिया की सबसे श्रेष्ठ जोड़ी का श्रेय भगवान शिव एवं पार्वती जी को दिया गया है।

    शिव एवं पार्वती

    ऐसी मान्यता प्रसिद्ध है कि इन दोनों के प्रेम तथा स्नेह वाली जोड़ी पूरी दुनिया में और किसी की नहीं है। इसलिए भक्त अपने अच्छे विवाहित जीवन के लिए शिव एवं पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

    सफल विवाह के लिए पूजा

    पति-पत्नी का विवाह सफल हो इसके लिए पूजा के साथ कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। लेकिन यह व्रत विशेष रूप से केवल सोमवार को ही किया जाए, ऐसी कोई मान्यता नहीं है। यह व्रत किसी भी दिन रखा जा सकता है, लेकिन शिव के भक्त सोमवार को भगवन शिव जी का प्रिय दिन मानकर ही व्रत एवं पूजा करते हैं।

    श्रावण के माह में करें व्रत

    यूं तो वर्ष के सभी सोमवार भगवान शिव की आराधना के लिए माने गए हैं, लेकिन विशेष रूप से श्रावण के माह (सावन का महीना) के सोमवार को अधिक महत्ता प्रदान की गयी है। सावन का महीना जो कि भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है, इस समय भक्त वे सब कुछ करते हैं जिससे शिव जी प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांछित वरदान प्रदान कर सकें।

    होगी शिव जी की अपार कृपा

    इसलिए यदि आप भी भगवान शिव से इस समय किसी वरदान की अपेक्षा कर रहे हैं, तो सावन का यह महीना आपके लिए सही समय लेकर आया है। इस महीने कुल 4 सोमवार हैं, जिसमें विधिपूर्वक व्रत एवं पूजा करके शिव जी की कृपा पाई जा सकती है।



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